वरध तकत. Aldivan Teixeira Torres
अब आवाज बहुत ही साफ़, सटीक और पहचानी सी है। झटके धीरे धीरे खत्म हो गए और मैं होश में लौटा। किसी ने मुझे उठाया। अब भी थोड़ा स्तम्भित हूँ मैंने कहा:
-क्या हुआ?
संरक्षक रोते हुए, उत्तर ढूंढ नहीं पाईं।
-मेरे पुत्र, गुफा ने फिर से किसी आत्मा की हत्या कर दी। कृपया तीसरी चुनौती को जीत जाओ और इस श्राप को खत्म कर दो। पूरी सृष्टि तुम्हे जीताने में लगी है।
- मुझे नहीं पता कि कैसे जीतना है। केवल परमेश्वर ही अपनी रौशनी से मेरे विचार और कामों को प्रकाशित कर सकते हैं। मैं यह वचन देता हूँ की मैं आसानी से अपने सपनों पर हार नहीं मानूंगा।
-मुझे तुम पर तथा तुम्हारे प्राप्त किए ज्ञान पर भरोसा है। शुभकामनायें, परमेश्वर के पुत्र! जल्द ही मिलेंगे।
यह कहने के बाद अजीब औरत चली गई और धुएं के गुबार में गुम हो गई। अब मैं अकेला था तथा मुझे आखिरी चुनौती के लिये तैयारी करने की जरूरत थी।
आखिरी चुनौती के एक दिन पहले
अब पहाड़ के ऊपर आए मुझे छः दिन हो गए थे। चुनौती से भरे समय और अनुभव ने मुझे समझदार बनने में मदद की है। मैं अब आसानी से प्रकृति को, खुद को और दूसरों को समझ सकता हूँ। प्रकृति अपनी ही धुन में चलती है और इंसानों के आहट के खिलाफ है। हम वनों को काटते हैं, पानी को दूषित करते हैं और वायुमंडल में जहरीली गैस छोड़ते हैं। हमें उससे क्या मिलता है? हमारे लिए क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है पैसा या खुद का ज़िंदा रखना? इसके परिणाम है: वैश्विक उष्णता, वनस्पतियों और जीवो में कमी, प्राकृतिक आपदा। क्या इंसान यह नहीं देखता की यह सब उसकी गलतियां हैं? अब भी समय है, प्रकृति को प्रदूषित ना करें। अपना भाग अदा करें: पानी और ऊर्जा बचाएं, खराब चीजों को पुनः उपयोग लायक बनायें, प्रकृति को दूषित ना करें। प्रकृति के मसलों को लेकर अपनी सरकार से जवाब मांगे। हम खुद के लिए तथा दुनिया के लिये बस